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किस्तूरी कुंडळ बसै....
रुग्घै डीगा-डीगा पांवडा धरणा सरू कर दीन्हा। सूरज आथमै ई हौ। बिंयां तौ सूरज रोजीनै आथमै। आथमै जकौ ई उगै। भलभांत कैइजै तौ उगै जकौ आथमै ई अर आथमै जकौ उगै ई। आ जुगू रीत है। पण आज रौ सूरज रुग्घै सारू हरमेसू गत वाळौ नीं हौ। वींनै लागै हौ कै सूरज आज बेसी अटावरौ चालै है। रुग्घै री मारग नापती रफ्तार सूं ई बेसी अटावरौ। तीन कोस रौ पैंडौ वीं सरू करयौ तद तौ सूरज साव चिलकै हौ। रातै गोळै बरणौ। वीं चालणै रौ मत्तौ सूरज नै देखनै ई करयौ हौ। चालती बगत वींरै चेतै आई ही दादै परसै री भोळावण- चांद कुंडाळौ-सूरज रातौ, घरबासौ-सगळां सूं नातौ। वौ जांणै हौ कै आ कोई कैबत कोनीं। दादै परसै री गोडां घड़योड़ौ कौथ है। दादौ चायै खेत में रीगदीजतौ हुवतौ कै घर में चींथीजतौ, हरेक बगत मुळक बपरायां राखतौ। अठीनै री ईंट अर वठीनै री माटी रौ मेळ करनै तुका-बेतुका कौथ जोड़तौ रैवतौ। पण परसौ दादौ साव मानतौ कै कौथ रौ कथणौ अर दही रौ मथणौ ई कोई कळा है? परसै दादै मुजब कळा तौ जीवण जीवणौ है। वींनै लगौलग चलावणौ है- भलै बगत में ई अर माड़ै बगत में। रुग्धै रै चेतै आयौ कै दादै वींनै एक नीं बीसूं दफा सूरज दीखायनै कैयौ हौ, 'लाडधर देख- औ सूरज जबरौ पळपळाट करै, पण एक मौकै औ ई अंधियारै में गम जावै। पण कांईं औ हार मांन लेवै? औ रातौ भाठौ ई हार नीं मांनै तौ आपां लोही-मांस-हाड रा तिमेळा जीव हां, आपां किंयां हार मान सकां। थूं तौ कदैई नीं, क्यूंकै थूं म्हारौ लाडधर है। थूं तौ आथमतै सूरज रै रातै गोळै नै देखनै मारग नापण री हूंस पाळणवाळौ है। परसै दादै री वा भोळावण आज किंयां भूल सकै हौ रुग्घौ? परसै रौ लाडधर। लाडधर- दादै रौ गोडै घड़योड़ौ नवौ सबद। लाडेसर रौ मौल कूंततौ। लाड सूं धरीजेड़ौ नांव। इणी कारणै आज जद जिंदगांणी रै नवौ मारग इण लाडधर नै नापणौ हौ तौ आथमीजतै रातै सूरज रै गोळै नै ई गवाह माननै वीं पैंडौ सरू करयौ हौ। लाडधर रुग्घै इण मौकै दादै परसै नै ई सै सूं बेसी सिंवरयौ। दादौ तौ वींरै रुं-रुं बसै। दादौ नीं हुवतौ तौ वौ कठै? रुग्घै ओळूं रै आसरै जायनै धड़धड़ी खाई। वीं धड़धड़ी सूं जांणै आथमतौ सूरज ई कीं हाल्यौ हुवै। आखी भौम ई पसवाड़ौ फोरयौ हुवै। औ कांईं- ए तौ भूकंप रा एनांण है। हे लाडधर रा लाडीला परसुराम! कांईं करौ इंयां? कांईं धरती धूजायनै मारसौ। रुग्घै री ओळूं ई धूजी। भूकंप इण खोटै बगत में ई आवणा सरू हुया है। परसै दादै आपरै खोळियै नै कदैई भूकंप नीं दीखायौ। भूकंप वांरै बगत आवतौ तद दीखावतौ नीं? दादै रै खोळियै तौ फगत देख्यौ एक राधू अर दूजौ लाडधर। राधू नै जलम देवतां ई खोह में खोयगी ही परसै दादै री पारसमणि। लारै बच्या दो जीव। जकां में एक नै तौ जीव ई नीं कैइजै, मांस री लोथ। वीं लोथ नै परसै भेड रौ दूध प्याय-प्यायनै ऊरणियै ज्यूं पाळयौ। वा लोथ कंवळी इत्ती कै नैनौ-मोटौ घाव हुवता ई राध चसका मारणै लागती। पछै एड़ै राधीलै नै कौथगारौ परसौ के कैवै- 'राधू' ई तौ। राधू कद राधेश्याम बण्यौ अर कद टाबरां रळयौ, जीयाजूंण रै धक्कां में परसै नै जांणै ठाह ई नीं लाग्यौ। परसै नै तौ ठाह तद पड़यौ जद लाडधर वींरौ काळजौ काढनै आपरै कब्जै में कर लीन्हौ। राधू रौ जायौ रुग्घौ। रुग्घै रै बाप राधू आपरी साख आखै इलाकै में कुभांती थरपी। कोई एड़ौ एब नीं हौ, जकै नै राधू नीं अंगेज्यौ हुवै। वींरां अंग तौ जांणै एब अंगेजणै सारू ई बण्या हा। टाबरपणै सूं ई वौ घाट नीं हौ। जवानी आवता-आवता तौ मां बायरौ राधू खासा कबाड़ा कर न्हाख्या। जकी जवानी राधू रै बाप परसै झूर-झूरनै काटी, वीं ई आंगणै राधू जवानी रा राग रमै। कदैई कठैई कूटीजै तौ कदै कठैई। चांम रौ चस्कौ इस्यौ लाग्यौ कै जीयाजूंण री गत ई बदळगी। गांव तौ के, आसैपासै रै गांव वाळा ई राधू नै देखनै आपरै घरै आगळ लगा लेवै। फीटै अर हिड़कायेड़ै रौ के भरोसौ। वींरै रिस्ता अर नाता के लागै। बस्स... अठै सूं ई परसौ झूरणौ सरू हुग्यौ। आपरै जायै नै कैवै तौ के कैवै? साम्हणौ करै तौ कित्तोक करै? और तौ और, रोवै तौ ई कित्तौक रोवै? टाबरपणै री कुबाणां तौ बगत बायरै साथै हवा हुज्या पण जवानी रै चसकारां रा एनांण मिटता-सा मिटै। परसै घणी दोरपाई सूं जोड़तोड़ बिठायनै राधू रा फेरा तौ लगवाय दीन्हा पण खोइजेड़ै घर में एकल सुख-स्यांती वौ किंयां थरप सकै हौ। निसरेड़ा पग फेरां साथै ई डट सकै हा पण हुवणी अर करणी दोनूं न्यारी-न्यारी हुया करै। करणी ई ऊंधा मारग चालणी चावै तद हुवणी के करै बापड़ी? इणी बिचाळै रुग्घै रा पगलिया ई आंगणै मंडग्या। पण पछैई घरै नवा बिस्तर रोजीनै सजता। भांत-भंतीली रै ओळाव घर रौ सगळौ सुख गमतौ रैयौ। परसौ कूकतौ रैयौ अर राधू मलंगा मारतौ रैयौ। दोनुवां रै बिचाळै पजती रैयी नानडि़यै रुग्घै री मां। दुखां रौ भारौ, पून रौ फटकारौ। कौथां रौ झोळा, हेत रौ हिंवाळौ। वींरी वौ जांणै, आपणी जूंण आपणी, वींरी जूंण वींरी। जकौ करसी वौ भुगतसी। मरणदयौ साळै नै। गंडक आगै हाडां रौ कुड लगाव देवै तौ ई वींरौ जी नीं भरै। हिड़कायेड़ै रौ अंत के हुवै। वौ ई इणरौ हुसी। आ सोचनै सुसरै-बहू तेवड़ लीन्ही कै देवौ राधू सूं आंतरौ। सुसरौ-बहू दोनूं खेत रीजै अर पसीनौ बीजै। बहू केसर रै रुग्घै री आस अर सुसरै परसै रौ विस्वास। बगत कटतौ कटै। बगत कटै तद घणौ ई बेगी कटै अर नीं कटै तौ छिण ई मण हुज्या। राधू नै गर्इ दीन्हा पछै जांणै बगत भाज्यौ बगै। इणरौ पड़तख सबूत औ कै रुग्घौ लरड़-लरड़ बधै। गुडाळियां सूं पगां चालणौ जांणै छिणेक में हुग्यौ। पगां चालणै सूं होठां भूरी रुवांळी आवणै में तौ जेज ई नीं लागी। पछै भूरी रुंवाळी नै काळी हुवतां तौ कदैई बेसी बगत लागै ई नीं। इण बदळाव रै चांनणै परसौ अर केसर हरखै। बाप-बेटी सूं बेसी हेत प्रगटीजै सुसरै-बहू दोनुवां में। वीं हेत रै पेटै ई रुग्घौ दादै अर मां री पीड़ नै पळूसणै रौ बख समझणै लाग्यौ। परसै-राधू-रुग्घै री लाम्बी एल, बधती जावै जांणै मतीरै री बेल- परसै दादै रा कौथ सरू हुग्या। रुग्घौ जोध-जवांन। पण बाप खोड़ीलौ। दादौ हालती नाड़ रौ बडेरौ मांणस, किणनै बगत कै वै रुग्घै बरणै जोध-जवांन कांनी निजर पसारै। बेटी देवणनै तौ जिग्यां और घणी ई हुवै। किणनै कोड आवै परसै री बेल बधावणै रौ। पण हुवणी हुवै जकी हुवै। बसतौ घर रुळज्या अर रुळतौ घर बसज्या। परसै री भलमाणसाई नै ओळखनै एक बाप पावसौ। रंग चढया। बगत बदळयौ। छुरंगै वाळौ केसरियौ साफौ बरसां पछै सज्यौ। घोड़ी नाची। जनेत जची। कोड-मोद सगळा करीज्या। परसै नै तौ जांणै जीवण रौ जस मिलग्यौ हुवै। केसर ई क्यारी में फळापणै लागी। छम-छम करता पाजेब रा घुघरियां बाजणै लाग्या। रोंवतै चूल्है, हरख जाम्यौ। रुग्घै रै तौ जांणै पांख आग्यी। इंयां कै जीवण रौ असली मतलब समझ में आग्यौ। किस्तूरी तौ रुग्घै रै कुंडळ बासौ लेय लीन्हौ। किस्तूरी री रुणक अर केसर रौ जी सौरौ- राधू खातर ई कीं चोखौ रैयौ। निसरता पग रोपीजग्या। एब री अबखाई मिटती-सी लागी। पचासी पार पछै बिंयां ई हूंस कीं कमती हुज्या। पण घरां कब्जौ किणी बीजै रौ हुज्या तौ हूंस कीं मत्तैई मरज्या। बगत बायरै नै समझनै राधू खेत रौ मारग नापणै लाग्यौ। केसर भातौ पूगावै। परसौ पळसौ रुखाळै। चौधर करै। रुग्घौ... रुग्घौ तौ जांणै एक जुग सिरजै। पसीनै री पा जबरी लागै खेती रै। दाणां ई जमनै हुवै। बखारी पोळांपोळ भरीजै। रुळती गुवाड़ी पळती लागै। गांव इचरज करै। बास थूथकारा न्हाखै। अड़ोसी-पड़ोसी आगळ खुली छोडै। हेत रचै। पण कित्ताक दिन....? खोड़लौ कदैई नीं सुधरया करै। पचासी लांघतौ राधू अबकै राध में एड़ी छुरी मारी कै राम ई माफ नीं कर सकै। खेत में राधू री पांथ भेळी लावणी लणती किस्तूरी सपनै में ई नीं सोची ही कै इंयां ई हुय सकै। राधू री गिंधली निजरां वीं माथै नीं जांणै कित्ता दिनां सूं ही। आज रै एकलपै छिणेक में वींरौ सो-कीं खोस लीन्हौ। राधू री करणी, काळजै उतरणी। मद छकतौ राधू, सुसरै सूं भरतार हुग्यौ.....। किस्तूरी हांफरड़ै भरती रैयगी। वींरौ हाकौ कित्तीक दूर तांणी सुणीजै हौ। बेसी सूं बेसी सींवां रै ईरणां तांणी। वींरौ पौ-पाट ईरणां लांघनै खेत-पड़ोसी री ढाणी तांणी तौ नीं पूग सकै हौ। इणी बिचाळै राधू तैतीसा देयग्यौ गांव कांनी....। खेत पड़ोसी रै अठै सूं चाय बणावणै सारू दूध रौ गिलासियौ लेयनै केसर बावड़ी तद तांणी तौ घणौ-कीं रुळग्यौ हौ। किस्तूरी रा डूसका समझतां केसर नै के बगत लागै हौ। वा काळी बणगी। पगां हेटै गांव रौ गेलौ अर हाथां में कुहाड़ी। आ देखनै किस्तूरी ई लारै भाजी। मांयली पीड़ हूणी नै देखनै दबगी। के-करौ, के-करौ रौ रोळौ पीठ पाछै पण केसर किसी घाट घालै। उडी बगै गांव कांनी। लारै किस्तूरी.....। रुग्घौ आज दादै री सेवा-चाकरी मांय घरां। बडेरौ हांण अर ऊपर सूं बीमारी। इण गत में कुण सेवा नीं करै मायतां री। काळी बणी केसर मदीजेड़ै राधू रा खोज बूरती लारै री लारै घरां पूगी। एक झटकै में सगळा समझग्या। केसर-राधू री कुस्ती बिचाळै परसौ आ पज्यौ। राधू रौ डांव पड़ग्यौ अर कुहाड़ी हत्थै चढगी। भाग माड़ा परसै रा। एक में ई घूता खाग्यौ। आ देखनै रुग्घै रै सिर ई भैंरूं चढग्यौ। राधू माथै सिंघ री ज्यूं झपटयौ। एक कुहाड़ी बाफर रैयी। केसर बावळी हुग्यी। औ के? के रौ के हुग्यौ। नसौ उतरग्यौ। रुग्घौ ई डरूंफरूं हुग्यौ। पण हुवणी जकी तौ हुग्यी। छिणेक में घणौ कीं रुळग्यौ। .......................................... ................................... आज सूं दसेक दिन पैलां काळ-कोठरी सूं छूटनै रुग्घौ घरां बावड़यौ हौ। गांव बड़यां पछै सै सूं पैलां वीं उण ई कुंवै धोक लगाई ही, जकै में लारै सूं मां केसर अण-आसरै हुयनै सरणौ लेय लीन्हौ हौ। पछै उणी आंगणै माथौ निवायौ हौ जठै दादौ परसौ अर बाप राधू रगत रै नाळै रम्यां। अर पांच-सात दिनां रै सोग पछै रुग्घै गांव रै गोरवैं नवी झूंपड़ी थरप लीन्ही ही। गांव ई गांव बरणौ हौ। कठैई हेत रा छांटां तौ कठैई तिजाब रा चड़ीड़। पण रुग्घै री मनगत परसौ रमै। गम्योड़ौ लाडधर बारै निसरै। वींनै सुणीजै, घरबासौ-सगळां सूं नातौ। बस्स..... औ ईज कारण हौ कै वींरै चेतै ही किस्तूरी री उडीक। अर कुंडळ बसती उणनै वौ बिसराय नीं सक्यौ। मां-बाप रै सरणै बीखै रा दिन काटती किस्तूरी रौ इण विगत में के कसूर....? तदई तौ रातै सूरज रौ गोळौ रुग्घै कन्नै सूं डीगा-डीगा पांवडा धरवावै हौ। किस्तूरी कांनलौ तीन कोस रौ पैंडौ लांघ्या ई तौ सूरज उगसी....। रुग्घौ जांणै हौ कै सूरज रातौ भाठौ हुवता थकां ई हार नीं मानै पछै वौ तौ.....। आथमै जकौ उगै ई। रुग्घै री चाल कीं और अटावरी हुग्यी ही।